स्पीकर के चैंबर के बाहर धरने पर बैठने के बाद विपक्ष ने सदन से किया वाकआउट
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 15-09-2020
हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र के सातवें दिन मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्ष स्पीकर विपिन सिंह परमार के चैंबर के बाहर धरने पर बैठ गया। फिर बेनामी संपत्ति के मुद्दे पर काम रोककर नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव पर फिर से चर्चा मांगने लगा।
सदन में स्पीकर ने सरकार की टिप्पणी आने के बाद ही इस चर्चा का फैसला ले पाने की बात कही तो विपक्ष ने सदन से वाकआउट कर दिया। कांग्रेस विधायक दल के इस व्यवहार की मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और संसदीय कार्य मंत्री ने निंदा की।
उन्होंने कहा कि खबरें बनवाने के लिए ही विपक्ष ऐसा कर रहा है। इसके बाद विपक्ष की गैर हाजिरी में ही प्रश्नकाल शुरू किया गया। सातवें दिन की कार्यवाही के शुरू होने से पहले ही विपक्ष के सदस्य नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के नेतृत्व में स्पीकर विपिन सिंह परमार के चेंबर के बाहर धरने पर बैठ गए।
कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष की आवाज को दबा रही है। मीडिया पर भी खबरें नहीं छापने को दबाव बनाया जा रहा है। सदन के भीतर भी विपक्ष की ओर से दी गई चर्चाएं नहीं करवाई जा रही हैं। इसके बाद स्पीकर ने विपक्ष के सदस्यों को भीतर बुलाया और उनसे बात की।
बाहर आने पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सदन में विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। भीतर हुई चर्चा को कार्यवाही से हटाया जा रहा है। इसे सार्वजनिक नहीं करने को मीडिया पर भी दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है। इसके बाद 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव पर अड़ गया।
सारा काम रोककर प्रदेश में बेनामी संपत्ति के मामलों पर चर्चा के लिए अड़ा रहा। इस पर स्पीकर विपिन सिंह परमार ने कहा कि कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा, इंद दत्त लखनपाल, नंदलाल, मोहन लाल ब्राक्टा और जगत सिंह नेगी से नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव पर सूचना मिली हैए इनमें प्रदेश में बेनामी संपत्तियों की खरीद.फरोख्त के लिए चर्चा मांगी गई है।
इसे टिप्पणी के लिए सरकार को भेजा है ,जैसे ही वहां से जवाब आता है तो इस पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने प्रश्नकाल आमंत्रित किया तो इस पर कांग्रेस विधायक दल हंगामा करता रहा और सदन से बाहर चले गए।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि यह लोग हिमाचल की जनता का नुकसान कर रहे हैं। नियम 67 में चर्चा के लिए सदन का सारा काम रोक देना होता है। इसके लिए विषय बहुत महत्वपूर्ण होना चाहिए। बेनामी संपत्तियों के मामले में इनके पास कोई तथ्य नहीं हैं।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा कि प्रश्नकाल को चलाने के लिए बहुत सी सूचनाएं एकत्र करनी होती हैं। ऐसे में प्रश्नकाल होने चाहिए। बजट सत्र में कम बैठकें होने पर इस सत्र को चार.पांच दिन के बजाय दस दिन का रखा गया। सरकार ने स्थगन प्रस्ताव पर पहली बार चर्चा करवाईए क्योंकि कोविड-19 का विषय ही इतना बड़ा था।
नियम 67 के तहत इन्होंने नोटिस दिया हैए लेकिन जब स्पीकर ने व्यवस्था दे दी कि सरकार की टिप्पणी मांगी गई है। इसमें वक्त लगेगा। विपक्ष सदन की गरिमा को एक बार नहीं अनेक बार ऐसा करता रहा है। पहली बार विधानसभा अध्यक्ष के कमरे के बाहर विपक्ष धरने पर बैठ गया।
जो भी संभव सूचना होए उसे उत्तर के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिसकी आवश्यकता नहीं थी। अध्यक्ष के खिलाफ इन्होंने सही टिप्पणियां नहीं की हैं। स्पीकर के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठने का मामला भी पहले कभी नहीं देखा गया है।
वहीं, विपक्ष और माकपा विधायक राकेश सिंघा के विरोध के बाद पर्यटन और युद्ध जागीर संशोधन विधेयक पारित किए गए। सत्ता पक्ष ने सदन में धन्यवाद से संशोधन प्रस्तावगिरा दिए। पर्यटन विधेयक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष और उपाध्यक्ष का मनोनयन करने और अन्य व्यवस्था का संशोधन लाने का विपक्ष ने विरोध किया था । हिमाचल प्रदेश की खराब वित्तीय हालत को देखते हुए खर्चे बढ़ जाने का मामला उठाया था।