स्वदेशी एमआरएनए कोविड-19 वैक्सीन की 21 लाख डोज को सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी कसौली ने दी मंजूरी
पहली सबसे प्रभावी स्वदेशी एमआरएनए कोविड-19 वैक्सीन की 21 लाख डोज को सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी (सीडीएल) कसौली ने मंजूरी दे दी है। यह वैक्सीन मैसेंजर राइबोज न्यूक्लिक एसिड (एमआरएनए) स्टेज में सबसे ज्यादा कारगर मानी जा रही
यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 14-05-2022
पहली सबसे प्रभावी स्वदेशी एमआरएनए कोविड-19 वैक्सीन की 21 लाख डोज को सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी (सीडीएल) कसौली ने मंजूरी दे दी है। यह वैक्सीन मैसेंजर राइबोज न्यूक्लिक एसिड (एमआरएनए) स्टेज में सबसे ज्यादा कारगर मानी जा रही है। अब कंपनी ने वैक्सीन का स्टॉक करना शुरू कर दिया है।
जल्द ही कंपनी की ओर से केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के समक्ष आगामी डाटा भी प्रस्तुत किया जाएगा। वैक्सीन का उत्पादन पुणे स्थित जेनोवा बायो फार्मास्युटिकल्स की ओर से किया जा रहा है। कंपनी ने वैक्सीन का उत्पादन कर बैच सीडीएल के लिए भेजे थे।
परीक्षण के दौरान वैक्सीन के सभी सैंपल खरे उतरे हैं। संस्थान की ओर से बैच जांच के बाद कंपनी को रिलीज कर दिए हैं। भारत में बनने समेत आयात और निर्यात होने वाली प्रत्येक वैक्सीन को सेंट्रल ड्रग लेबोरेटरी कसौली से ग्रीन टिक लेना होता है।
इससे पहले भारत में कोविशील्ड, कोवैक्सीन, जॉनसन एंड जॉनसन, मॉडर्ना, जायकॉव-डी, कोर्बोवैक्स समेत अन्य कोविड वैक्सीन को मंजूरी दी जा चुकी है। सीडीएल की वेबसाइट पर इसकी पुष्टि हुई है।
अन्य सभी कोविड-19 टीकों की तरह एमआरएनए वैक्सीन का भी उद्देश्य घातक रोगजनकों से लड़ने के लिए कोशिकाओं को सक्रिय करके एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करना है। पारंपरिक टीके प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करने के लिए निष्क्रिय या कमजोर वायरस का इस्तेमाल करते हैं, जबकि यह सुनिश्चित करते हैं कि वायरस दोहराए नहीं।
एमआरएनए आधारित टीकों के मामले में कोशिकाओं को एक प्रोटीन या कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन का एक टुकड़ा बनाने का निर्देश दिया जाता है जो शरीर में एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा करता है।
सक्रिय प्रतिरक्षा कोशिकाएं इस स्पाइक प्रोटीन की पहचान करती हैं और बदले में घातक कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए आवश्यक एंटीबॉडी बनाती है। महाराष्ट्र के पुणे में यह वैक्सीन बन कर तैयार होगी। बताया जा रहा है कि ओमिक्रॉन से निजात पाने के लिए यह वैक्सीन कारगर होगी।