हिमाचल के दो जिले से शुरू होगी महिला पुलिस स्वयंसेवी योजना
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 29-07-2020
हिमाचल के ऊना और मंडी जिले में महिला पुलिस स्वयंसेवी योजना पायलट आधार पर शुरू की जाएगी।
योजना के तहत दोनों जिलों की करीब 700 पंचायतों में एक-एक महिला पुलिस स्वयंसेवी को तैनात किया जाएगा।एसीएस सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता निशा सिंह ने यह घोषणा मंगलवार को पुलिस मुख्यालय में की।
योजना के तहत ये स्वयंसेवी महिला या बच्चे के साथ होने वाले अपराध की सूरत में पुलिस और पीड़ित के बीच मध्यस्थ का काम करेगी और जांच में सहयोग भी करेगी।
साथ ही वह अपनी पंचायत में होने वाले ऐसे अपराध की पुलिस को जानकारी भी देंगी। इन स्वयंसेवियों को पुलिस व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ट्रेनिंग देगा और इसके बाद इन्हें प्रति माह 1000 रुपये का मानदेय दिया जाएगा।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम और उनके प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मंगलवार को पुलिस मुख्यालय में विभिन्न विभागों व एजेंसियों के साथ एक संवाद सत्र का आयोजन किया गया।
महिला सुरक्षा के लिए बनी गुड़िया हेल्पलाइन 1515 और महिला हेल्पलाइन नंबर 181 को अब एक कर दिया जाएगा।
मंगलवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में अतिरिक्त मुख्य सचिव निशा सिंह और डीजीपी संजय कुंडू ने इस पर सहमति दे दी है।
महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध की रोकथाम के लिए पुलिस व संबंधित विभागों के संयुक्त प्रयासों पर चर्चा के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान एडीजी सीआईडी अशोक तिवारी ने एक दशक में महिलाओं और बच्चों से अपराध में राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ राज्य स्तर पर अपराध का तुलनात्मक विश्लेषण किया।
मादक पदार्थों की तस्करी में बच्चों की भागीदारी के प्रति चिंता जताई। इस अवसर पर एसपी चंबा, कांगड़ा, मंडी और शिमला ने महिलाओं और बच्चों से अपराध को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर प्रकाश डाला।
इसके अलावा अधिकारियों ने हर पुलिस स्टेशन में कम से कम एक महिला ग्रेड- 1 (सब-इंस्पेक्टर) को तैनात करने, पोक्सो अधिनियम के तहत मामलों से निपटने के लिए प्रत्येक पुलिस स्टेशन में एक समर्पित वाहन उपलब्ध करवाने और महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करने पर जोर दिया।
सत्र के दौरान डीजीपी ने महिलाओं व बच्चों के विरुद्ध अपराध एवं नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा।
कार्यक्रम में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. डेजी ठाकुर, बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष वंदना कुमारी, बाल कल्याण परिषद की महासचिव पायल वैद्य, निदेशक महिला एवं बाल विकास कृतिका कुल्हारी, एडीजी कानून व्यवस्था एन वेणुगोपाल के अलावा जिलों के पुलिस अधीक्षक, महिला पुलिस थानों के थाना प्रभारी और मानव तस्करी विरोधी इकाइयों के प्रभारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए।
एसपी शिमला ने बताया कि 79 नेपाली मूल के लोग शिमला में अपराध करके फरार हैं। लेकिन प्रत्यर्पण संधि न होने की वजह से उन्हें ला पाना मुश्किल होता है।
वहीं पुलिस अधीक्षक साइबर अपराध ने साइबर स्पेस, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, साइबर बुलिंग और यौन शोषण पर प्रस्तुति दी।