हिमाचल में 16 बागी उम्मीदवारों ने बढ़ाई भाजपा-कांग्रेस की मुश्किलें, 6 सीटों पर कड़ा मुकाबला

हिमाचल प्रदेश में पहली बार भाजपा में लगभग 21 और कांग्रेस में 7 सीटों पर बागी मैदान में है। इनके कारण करीब 10 सीटें हॉट हो गई है। यही सीटें यदि बाद में किसी दल को क्लियर मेजॉरिटी (बहुमत) नहीं मिल पाती तो सरकार बनाने में डिसाइडिंग फैक्टर साबित होंगी

हिमाचल में 16 बागी उम्मीदवारों ने बढ़ाई भाजपा-कांग्रेस की मुश्किलें, 6 सीटों पर कड़ा मुकाबला

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला      11-11-2022

हिमाचल प्रदेश में पहली बार भाजपा में लगभग 21 और कांग्रेस में 7 सीटों पर बागी मैदान में है। इनके कारण करीब 10 सीटें हॉट हो गई है। यही सीटें यदि बाद में किसी दल को क्लियर मेजॉरिटी (बहुमत) नहीं मिल पाती तो सरकार बनाने में डिसाइडिंग फैक्टर साबित होंगी। प्रदेश में इस वक्त चौपाल, सुलह, देहरा, आनी, मंडी, नालागढ़, ठियोग में निर्दलीय कांटे की टक्कर में माने जा रहे हैं जबकि बंजार, फतेहपुर, किन्नौर, बड़सर, करसोग, सुंदरनगर, अर्की, हमीरपुर चंबा और पच्छाद में भी बागी मजबूत हो रहे है। 

इन सीटों पर बागियों ने कांग्रेस व भाजपा के नाम में दम कर रखा है। ज्यादातर सीटों पर भाजपा प्रत्याशी मुश्किल में है, ठियोग, आनी, सुलह, अर्की, पच्छाद और चौपाल में कांग्रेस के बागी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।चौपाल में 2 बार के कांग्रेस विधायक डॉ. सुभाष मंगलेट बागी हुए। मंगलेट के मैदान में उतरने से यहां भी कांटे की टक्कर है। 

राजनीति के जानकारों की मानें तो मंगलेट को कांग्रेस व भाजपा के नाराज लोगों के वोट मिल रहे हैं। इनके कारण यहां मुकाबला रोचक हो गया है। सूत्र बताते हैं कि मंगलेट को एक विरोधी पार्टी के बड़े नेता का भी आशीर्वाद मिल रहा है। आनी में कांग्रेस के बागी परसराम के कारण पार्टी की राह का कांटा साबित हो रहे हैं। 

माना जा रहा है कि हॉली लॉज से नजदीकिया नहीं होने की वजह से परसराम का टिकट जरूर कटा, लेकिन उन्होंने चुनाव को रोचक बना दिया है। यहां पर भाजपा से भी सिटिंग विधायक किशोरी लाल बागी है और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इन दोनों बागी का कांग्रेस व भाजपा से सीधे-सीधे मुकाबला माना जा रहा है और दोनों बागी सशक्त दावेदार बताए जा रहे हैं। 

ठियोग में कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप सिंह राठौर को पूर्व मंत्री जेबीएल खाची के बेटे एवं बागी विजय पाल खाची से चुनौती मिल रही है। यहां टिकट की चाहत में कांग्रेस में शामिल इंदू वर्मा के बागी होने से भी कांग्रेस को डबल चुनौती है। बागी इंदू वर्मा कांग्रेस और भाजपा को कांटे टक्कर दे रही है। सुलह सीट पर पूर्व कांग्रेस विधायक जगजीवन पाल का टिकट कटने के बाद वह भी बागी हो गए। यहां कांग्रेस के जगदीश सिपहिया, भाजपा के विपिन सिंह परमार और निर्दलीय जगजीवन पाल के बीच त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। 

कांगड़ा की फतेहपुर सीट सबसे ज्यादा चर्चा में है। यहां पर पूर्व सांसद कृपाल परमार भाजपा से बागी है। इनके मैदान में उतरने से भाजपा प्रत्याशी राकेश पठानिया को पहली चुनौती अपने ही घर से मिली है। फतेहपुर में कृपाल परमार, राकेश पठानिया, कांग्रेस के सिटिंग विधायक भवानी सिंह पठानिया और आम आदमी पार्टी के डॉ. राजन सुशांत के बीच टक्कर मानी जा रही है। देहरा में सिटिंग विधायक होशियार सिंह के बागी होने से यहां भी भाजपा बैकफुट पर है। 

यहां कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. राजेश शर्मा, भाजपा के रमेश चंद ध्वाला और होशियार के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। अब बाजी कौन मारता है, इसका फैसला 8 दिसंबर को होगा। सोलन के नालागढ़ में भाजपा के बागी एवं पूर्व विधायक केएल ठाकुर के कारण पार्टी की डगर मुश्किल लग रही है। यहां पर भाजपा ने पूर्व में कांग्रेसी विधायक लखविंदर राणा को प्रत्याशी बना रखा है। 

अब यहां लखविंदर राणा, कांग्रेस के बाबा हरदीप और निर्दलीय केएल ठाकुर के बीच मुकाबला है। यहां भी नतीजे चौकाने वाले हो सकते है। मंडी में भाजपा के बागी प्रवीण शर्मा, किन्नौर में तेवंत नेगी, चंबा में इंदिरा ठाकुर, बड़सर में संजीव शर्मा, बिलासपुर में सुभाष शर्मा, अर्की में राजेंद्र ठाकुर, हमीरपुर में आशीष शर्मा, सुंदरनगर में अभिषेक ठाकुर, बंजार में हितेश्वर सिंह, करसोग में युवराज कपूर भी समीकरण बिगाड़ सकते हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी को भी वोट केवल कमल के फूल पर देने की अपील करनी पड़ रही है और बगावत के लिए बागियों को फोन करने की नौबत आई है।