एसएफआई ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश विधानसभा के बाहर ताली-थाली बजाकर किया विरोध प्रदर्शन 

एसएफआई ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश विधानसभा के बाहर ताली-थाली बजाकर किया विरोध प्रदर्शन 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   15-09-2020

एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी के द्वारा छात्रो की मांगों को लेकर हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बाहर  ताली-थाली बजाकर बहरी सरकार को जगाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान SFI के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सचिव अमित ठाकुर  व राज्य अध्यक्ष रमन थारटा के नेतृत्व में एक माँगपत्र भी मुख्यमंत्री को सौंपा गया।

प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए SFI राज्य सचिव अमित ठाकुर ने बताया कि मौजूदा प्रदेश सरकार छात्र विरोधी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रदेश में लागू करना चाहती है। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से जिस स्वायत्तता की बात सरकार कर रही है उसके माध्यम से अभी निजी शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्रता मिल जाएगी और वे अपने स्तर पर तय कर सकते है कि उन संस्थानों में शिक्षा का स्तर क्या होगा, कितनी फीस होगी। जबकि अभी तक ये सारी प्रक्रियाएं विश्ववविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संचालित व नियंत्रित है। 
 
दूसरी ओर शिक्षा पर 18 % GST लगाकर सरकार ने शिक्षा को भी कमाई का साधन बनाने की कोशिश की है जिसका असर आने वाले समय मे फीस बढ़ोतरी के रूप में सामने आएगा। एक तरफ हमारी सरकार कहती है शिक्षा मानव विकास का महत्वपूर्ण पहलू है। जिसे संविधान के द्वारा हरेक व्यक्ति का मौलिक अधिकार सुनिश्चित किया गया है लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा इस आपदा के दौरान शिक्षा पर 18% GST लगाने के फैसला आम जनता विरोधी है उसे तुरंत वापिस लिया जाना चाहिए।

SFI ने माँग की है कि फॉर्म्स की छँटनी  सेवानिवृत्त प्रोफेसरों के बजाय विभागों के प्रोफेसर को शामिल करते हुए की जाए। इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम देने के लिए कई विभागों में तो विभागाध्यक्ष भी कहीं और महाविद्यालय से बुलाकर बनाए गये है। जबकि वहाँ पर सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर को विभागाध्यक्ष बनाया जाना चाहिए  था। 

SFI ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय अध्यादेश के अनुसार जब भी आप किसी भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित करते हैं तो विश्वविद्यालय को उसको कम से कम 3 हिंदी व अंग्रेजी के समाचार पत्रों के साथ साथ विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर प्रकाशित करना होता है जबकि इस कोरोना के दौर में वो सिर्फ एक ही पत्र में प्रकाशित किया गया ताकि सरकार व कुलपति के चहेते लोग जो पहले इन नियुक्तियों के लिए काबिल नही थे अब योग्यता पूरी कर रहे है। उन्हें मौका मिल सके। 

विश्वविद्यालय प्रशासन एक ही विषय पर्यावरण विज्ञान को लेकर दो अलग अलग विभाग खोलकर  तथा विश्वविद्यालय में 8 अनावश्यक चेयर्स की स्थापना करके विश्वविद्यालय पर आर्थिक बोझ डालने का कार्य कर रहा है। ताकि सरकार व उसकी विचारधारा के सेवानिवृत्त  लोगो को विश्वविद्यालय में भर्ती किया जाए। 

इसलिए SFI का मानना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में  बहुत सारी खमिया है जिन्हें  समय रहते दुरुस्त किया जाना जरूरी है 

1) विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर को तर्कसंगत तरीके से लागू किया जाए।
2) भर्ती से सम्बंधित गठित स्क्रूटिनी कमेटी में सेवानिवृत्त व बाहरी प्रोफेसर के बजाय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को शामिल किए जाए।
3) हिमाचल कोई प्रयोगशाला नही है राष्ट्रीय शिक्षा नीति वापिस लो।
4) विश्वविद्यालय के आर्थिक संसाधनों का दुरुपयोग करने वाले उपकुलपति पर कार्यवाही की जाए
5) SC/ ST छात्रो की लम्बित छात्रवृत्ति शीघ्र बहाल की जाए।
6) अंतिम सत्र के छात्रो के अतिरिक्त सभी छात्रों को पुराने अकादमिक रिकार्ड्स के आधार पर शीघ्र प्रमोट करो।
7) HPPSC  द्वारा कॉलेज शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में UGC के निर्देशों अनुसार 65:35 का फार्मूला लगा किया जाए 
जिसमे पर्सनल्टी टेस्ट के 35 अंको के साथ साथ सब्जेक्ट एप्टीट्यूड टेस्ट के 65 अंक शामिल किए जाए। जबकि हिमाचल प्रदेश में अभी तक इन भर्तियों में राजनीतिक भ्रष्टाचार चरम सीमा पर रहता है और केवल पर्सनल्टी टेस्ट के अंकों को ही नियुक्ति के समय  शामिल किया जाता है।