यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 26-04-2021
खुले बाजार से सीमित दवाएं खरीदने के फैसले पर बागवानी मंत्री और पूर्व मंत्री में ठन गई है। धूमल सरकार में बागवानी मंत्री रहे नरेंद्र बरागटा ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर इस संबंध में लिए फैसले को वापस लेने की मांग की है। बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह का कहना है कि एचडीओ दवा विक्रेता ही बन गए थे। नई योजना के बाद वे बागवानों के हित में फील्ड में भी काम कर सकेंगे।
बरागटा ने चिट्ठी में कहा है कि हाल में सरकार ने बागवानी विस्तार केंद्रों के माध्यम से स्प्रे की दवाइयों की बिक्री रोकने और खुले बाजार में सीमित दवाइयां देने का निर्णय लिया है। इसे तुरंत वापस लिया जाए। बागवानी विभाग के विक्रय केंद्रों से ही दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने सात अन्य मुद्दे भी उठाए हैं।
हाल में बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने फैसला लिया है कि अब बागवानों को उद्यान विभाग सस्ती सब्सिडीयुक्त दवाएं नहीं देगा। अब एक हेक्टेयर तक फसल के लिए बागवान एक साल में अधिकतम आठ हजार रुपये तक दवाएं खरीद सकेंगे। चार हजार रुपये उनके खाते में लौटा दिए जाएंगे। इससे कम दवा खरीद पर पचास फीसदी उपदान मिलेगा।
बरागटा ने कहा कि उन्हें डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम के रूप में बागवानों के खाते में सीधे उपदान देने की योजना से आपत्ति नहीं है। उनका सवाल है कि दवा विक्रेताओं से जो दवाएं सीधे खरीदी जा रही हैं, उनकी गुणवत्ता कौन चेक करेगा। किस लैब से टेस्ट कर रहे हैं। पहले सरकार के माध्यम से दवाएं आती थीं। विशेषज्ञों की ओर से जिन दवाओं की संस्तुति होती थीं, वही दी जाती थीं। उन्होंने सीएम से फैसले को बदलने का अनुरोध किया है, क्योंकि वे खुद भी एक किसान-बागवान हैं।
बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि नरेंद्र बरागटा की चिट्ठी का पता नहीं है। उन्होंने चिट्ठी सीएम को लिखी होगी, उन्हें नहीं लिखी है। यह फैसला बागवानों की सुविधा के लिए लिया है। पहले यह समस्या होती थी कि बागवानी विकास अधिकारी फील्ड में नहीं जाते थे, उनके पास एक बहाना होता था कि उनके पास वक्त नहीं है। केवल एंपैनल की गई कंपनियों से ही दवा खरीदने पर ही उपदान मिलेगा।