हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दो सिविल जजों की नियुक्तियों को किया रद्द
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 22-09-2021
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए दो सिविल जजों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने फैसले में इन पदों के लिए चयन प्रक्रिया को नियमों के विपरीत व अवैध करार दिया है।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चैहान और न्यायाधीश संदीप शर्मा ने दोनों जजों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए सिविल जज विवेक कायथ व आकांक्षा डोगरा की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाया।
दरअसल दोनों जज वर्ष 2013 बैच के एचपीजेएस अधिकारी थे। कोर्ट ने पाया कि दोनों जजों की नियुक्तियां उन पदों के खिलाफ की गई जिनका कोई विज्ञापन नहीं दिया गया।
बिना विज्ञापन के इन पदों को भरने पर कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग को चेताया कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न करें।
मामले के अनुसार एक फरवरी 2013 को प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सिविल जजों के आठ रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन के माध्यम से आवेदन आमंत्रित किए। इनमें छह पद पहले से रिक्त थे और दो पद भविष्य में रिक्त होने थे।
आयोग ने अंतिम परिणाम निकाल कर कुल आठ अभ्यर्थियों की नियुक्तियों की अनुशंसा सरकार से की और अन्य सफल अभ्यर्थियों की एक सिलेक्ट लिस्ट भी तैयार की। इस बीच प्रदेश में दो सिविल जजों के अतिरिक्त पद सृजित किए गए।
लोक सेवा आयोग ने इन दो पदों को सिलेक्ट लिस्ट से भरने की प्रक्रिया आरंभ की और विवेक कायथ और आकांक्षा डोगरा को नियुक्ति देने की अनुशंसा की। सरकार ने इन्हें नियुक्तियां भी दे दी थीं।
कोर्ट ने दोनों की नियुक्तियों को रद्द करते हुए कहा कि इन नए सृजित पदों को कानूनन विज्ञापित किया जाना जरूरी था ताकि अन्य योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को भी इन पदों के लिए प्रतिस्पर्धा का मौका मिलता।
कोर्ट ने फैसले में स्पष्ट किया है कि इन जजों की नियुक्तियां रद्द होने से इन पदों को वर्ष 2021 की रिक्तियां माना जाए और इन्हें भरने की प्रक्रिया कानून के अनुसार की जाए।
कोर्ट ने अपने निर्णय में ये भी कहा है कि न्याय प्रक्रिया में जनमानस के गूढ़ विश्वास के दृष्टिगत यह वांछित है कि इस प्रक्रिया से जुड़े लोगों का चयन पारदर्शी तरीके से हो।
यदि लोगों के मामलों का निपटारा करने वाले अधिकारी की अपनी चयन प्रक्रिया नियमों के विपरीत हो तो इससे लोगों का न्यायपालिका से विश्वास उठ जायेगा। प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा की गई गलती पर भी हाईकोर्ट ने आयोग को चेताया कि भविष्य में इस तरह की गलती न दोहराएं।