राज्य में जगह-जगह स्थानीय परिंदों की मौत का सिलसिला जारी है। ऐसे में लोगों में भी दहशत का माहौल है, वहीं नादौन में मरे हुए मिले कौवों में बर्ड फ्लू पाया गया है। भोपाल लैब से आई रिपोर्ट के बाद इसकी पुष्टि हुई है। प्रशासन और पशु पालन विभाग अलर्ट हो गया है। इसके अलावा सोलन में भी कई जगहों पर मरे हुए मुर्गे मिले हैं।
सिरमौर में भी कई जगहों पर स्थानीय पक्षी और पालतू मुर्गे मरे हुए मिले हैं। ऐसे में बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ता जा रहा है। नादौन में एक जगह मृत मिले दो कौवों के सैंपल जांच के लिए जालंधर लैब भेजे गए थे। भोपाल लैब में हुई सैंपल जांच में यह पुख्ता हो गया कि कौवों की मौत की वजह बर्ड फ्लू रहा है।
बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद अब महकमा और अधिक सतर्क हो गया है। पशुपालन विभाग ने लोगों से भी यह आग्रह किया है कि यदि कोई पक्षी मृत मिलता है तो उसे न छूएं। इसके अलावा कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पांच के किनारे मृत मुर्गे फेंके पाए गए। मृत मुर्गों में बर्ड फ्लू के लक्षण पाए जाने के बाद पशु पालन विभाग ने पांच किलोमीटर के दायरे से पक्षियों और कुक्कट की सैंपलिंग करनी शुरू कर दी है।
इनके सैंपल जांच को भेजे गए हैं, रिपोर्ट का इंतजार है। पशुपालन विभाग का कहना है कि हाई-वे किनारे मृत पाए गए मुर्गों की रिपोर्ट आने के बाद उस क्षेत्र के पांच किलोमीटर के क्षेत्र से एहतिहात के तौर पर सैंपलिंग की जा रही है। वहीं, दूसरी और सिरमौर में पक्षियों के मरने का सिलसिला जारी है। माजरा और धौलाकुआं क्षेत्र में बड़ी संख्या में कौवे, कबूतर और मुर्गे-मुर्गियों मरने शुरू हो गए हैं। बर्ड फ्लू के खतरे के बीच पक्षियों के मरने से क्षेत्र में दहशत है।
इसके अलावा पांवटा साहिब शहर के आसपास हर रोज मरे हुए पक्षी मिल रहे हैं। माजरा गांव में एक मुर्गी पालक के दर्जनभर मुर्गे-मुर्गियां और क्षेत्र में बहुत से कोवे अचानक मर गए। कांगड़ा के पौंग डैम में फैले बर्ड फ्लू का असर अब हिमाचल में दिखने लगा है, हालांकि वन्य प्राणी विंग लगातार मरे हुए पक्षियों को यहां से हटा रहा है। वहीं यहां पर अभी तक 5000 के करीब प्रवासी पक्षी मर चुके हैं। ऐसे में लोगों को अभी एहतियता बरतनी होगी, क्योंकि बर्ड फ्लू का ये वायरस ज्यादा खतरनाक है।