देश में दवाओं के कच्चे माल की कीमतों में आए उछाल से फार्मा उद्योगों पर मंडराया संकट
देश में दवाओं के कच्चे माल की कीमतों में आए उछाल से फार्मा सेक्टर लडख़ड़ाने लगा है। हालात यह है कि जहां क च्चे माल की कालाबाजारी बढऩे लगी है वहीं दवा उत्पादन भी खासा प्रभावित
यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 08-10-2021
देश में दवाओं के कच्चे माल की कीमतों में आए उछाल से फार्मा सेक्टर लडख़ड़ाने लगा है। हालात यह है कि जहां क च्चे माल की कालाबाजारी बढऩे लगी है वहीं दवा उत्पादन भी खासा प्रभावित हुआ है।
उद्योग जगत का कहना है कि अगर कच्चे माल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी को जल्द काबू नहीं किया गया, तो इसका असर दवाओं की कीमतों पर भी पड़ेगा।
इसी कड़ी में फार्मा सेक्टर ने केंद्र सरकार से कच्चे माल की कीमतों में अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने और बल्क ड्रग पार्कों की जल्द स्थापना की अपील की है।
दवा उद्यमियों का कहना है कि कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का दौर तभी थमेगा जब देश में ब्लक ड्रग का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगेगा ,
केंद्र सरकार इस संदर्भ में गंभीरता भी दिखा रही है, लेकिन देश में स्थापित होने वाले तीन ब्लक ड्रग पार्कों की स्थापना में हो रही देरी फार्मा सेक्टर के लिए सितमगर साबित हो रही है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज का कहना है कि अगर यह दौर जल्द नहीं थमा तो देश भर के करीब तीन हजार दवा उद्योगों सहित फार्मा हब हिमाचल के कई दवा उद्योगों पर ताला लटक जाएगा।
फेडरेशन ने फार्मा सेक्टर के लिए विशेष आर्थिक पैकेज देने और जीएसटी की दर को 12 फीसदी करने की मांग की है। पैरासिटामोल की कीमत 250 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 850-900 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुकी है,जो कि कोविड काल से भी अधिक है।
दवाओं के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले पीवीपीके-30 का मूल्य 350 से बढ़कर 1000 रुपए किलो, ग्लिसरीन का मूल्य 65 रुपए से बढ़कर 250 रुपए, क्लोराजोक्साजोन केमिकल का रेट 750 रुपए से बढ़कर 950 रुपए व एसिक्लोफेनिक की कीमत 850 रुपए से बढ़कर 1150 रुपए हो गई है।