पेपर लीक मामला : गिरफ्तार महिला कर्मी सहित सभी छह आरोपी चार दिन के पुलिस रिमांड पर
हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में हुए पेपर लीक मामले के बाद इसकी भीतरी व्यवस्था पर अब मुकम्मल तौर पर सवाल उठ रहे हैं। यहां के सिस्टम में कई तरह की खामियां
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 24-12-2022
हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में हुए पेपर लीक मामले के बाद इसकी भीतरी व्यवस्था पर अब मुकम्मल तौर पर सवाल उठ रहे हैं। यहां के सिस्टम में कई तरह की खामियां हैं। जिसकी वजह से एक बार फिर यह आयोग भ्रष्टाचार की सुर्खियों में आया है।
जेओए आईटी के पोस्टकोड 675 के जिस पेपर लीक मामले में आयोग की कारगुजारी ने सुर्खियां बटोरी हैं। उसमें अब तक छह लोगों की गिरफ्तारी बताई जा रही है। जिनमें एक महिला कर्मचारी सहित चार और लोग शामिल हैं।
आरोपी महिला के घर से जादू-टोने का सामान भी पुलिस ने बरामद किया है। स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई देर रात तक जारी रही। आरोपी महिला के आवास पर रात तक छानबीन जारी थी। आज आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया जहाँ से सभी को 28 डिम्बार तक पुलिस रिमांड मिला है।
उसके बाद एएसपी रेणू शर्मा ने आयोग के कार्यालय में पहुंचकर भी मामले की अगली छानबीन की। जहां पर आयोग के चेयरमैन, सचिव और अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे। उनसे भी पूछताछ हुई है। जो कागजात महिला के आवास पर मिले हैं, उन्हें कार्यालय में पहुंचकर सत्यापित किया गया है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार एसआईटी गठित कर सकती है ताकि अब तक हुई तमाम गड़बड़ियों की जांच हो सके। विजिलेंस एएसपी रेणू शर्मा ने बताया कि कर्मचारी चयन आयोग के मामले में हमीरपुर जिले के अणू इलाके में एक कोचिंग सेंटर चलाने वाले संजीव शर्मा की भूमिका भी अहम मानी जा रही है। वह मिडिल मैन की तरह इस मामले में काम किया करता था।
कस्टमर ढूंढ के लाया करता था और यह सारा धंधा व्यवस्थित तरीके से चल रहा था। पुलिस ने अभी तक मुख्य आरोपी उमा आजाद के साथ जिन अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। उनमें मुख्य आरोपी उमा आजाद, उनका बेटा निखिल आजाद, शहर के अणू में कोचिंग सेंटर चलाने वाले संजीव शर्मा, तनु शर्मा, नीरज कुमार और अजय शर्मा शामिल हैं। पुलिस ने अपनी FIR में इन्हीं 6 लोगों के नाम दर्ज किए हैं।
सूत्रों के मुताबिक सीक्रेसी ब्रांच के सीसीटीवी कैमरे भी खराब हैं। यह कब से खराब हैं? इसकी जानकारी तो नहीं मिल पाई है लेकिन बताया गया है कि पुरानी सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर कई और चीजों का पता चलेगा। इस ब्रांच में क्या होता आया है, कौन-कौन इसमें शामिल होते थे और कब-कब क्या रहता था? इसका पता भी चलेगा। अब यक्ष प्रश्न यही है कि सीसीटीवी कैमरा क्यों खराब है। यह भी जांच का विषय है।
आयोग में जनवरी 2017 से जितेंद्र कंवर ही इस आयोग के सचिव हैं। उनकी अदला-बदली कभी नहीं हुई। लेकिन सीक्रेसी ब्रांच में 2019 से आरोपी महिला की इसीलिए कारगुजारी को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार इतने लंबे समय तक एक ही पद पर वह भी आयोग जैसी महत्वपूर्ण संस्था में 6 सालों तक यदि एचएएस स्तर के एक ही अधिकारी को तैनात रखेगी, तो सवाल तो उठेंगे ही।
भूमिका भी कटघरे में खड़ी होगी। अभी आयोग को एफआईआर की कॉपी नहीं मिली है इसके मिलते ही संबंधित आरोपी महिला को सस्पेंड किया जाएगा। आयोग के चेयरमैन संजय ठाकुर ने इसकी जानकारी देते हुए बताया है कि यह प्रक्रिया एफआईआर की कॉपी मिलने के बाद ही शुरू होगी।