संगड़ाह ब्लाक के 23 कर्मचारी ट्रांसफर ,  तबादलों पर प्रतिबंध के चलते बीडीओ ने किए आर्डर 

- बीडीओ का तर्क , ब्लाक के भीतर नही होती टाँसफ़र , बेहतर कार्य के लिए की गई एडजस्टमेंट

संगड़ाह ब्लाक के 23 कर्मचारी ट्रांसफर ,  तबादलों पर प्रतिबंध के चलते बीडीओ ने किए आर्डर 


लाल सिंह शर्मा - संगड़ाह

हिमाचल प्रदेश में भले ही तबादलों पर पूर्ण प्रतिबंध है बावजूद इसके भी ज़िला सिरमौर के खंड विकास अधिकारी संगड़ाह में एक साथ विकास खंड संगड़ाह के 23 तकनीकी सहायक तथा ग्राम रोजगार सेवक के तबादला आदेश जारी कर दिए। मजेदार बात तो यह है कि जिन कर्मियों की ट्रांसफ़र किये गए है उनको महज 3 दिन जाने से विभागीय कर्मियों में खलबली मच गई है।

 

 
 प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए बीडीओ ने तीन दिन में सभी कर्मचारियों को अपने नए पंचायत मुख्यालयों में कार्यभार ग्रहण करने के आदेश जारी किए हैं। रोचक तथ्य यह है कि सभी कर्मचारियों के खिलाफ न कोई शिकायत थी और न ही पंचायत समिति संगड़ाह को इस बारे जानकारी दी गई।‌ हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव द्वारा गत 9 मई को जारी तबादले  पर रोक संबधी आदेशों के बावजूद उक्त फेरबदल चर्चा मे हैं ।
 
 हालांकि बीडीओ के अनुसार उन्होंने कोई ट्रांसफर नहीं , बल्कि केवल कर्मचारियों की पंचायतें बदली है। गौर हो कि गत मार्च माह मे बीडीओ संगड़ाह का कार्यभार ग्रहण करने के बाद विनीत कुमार इससे पहले भी इनमे से कुछ कर्मचारियों के तबादले कर चुके हैं। तकनीकी सहायक व जीआरएस के तबादलों से क्षेत्र में सियासी हलचल तेज हो गई है और गुरुवार को क्षेत्र के एक आला भाजपा नेता भी अपने कुछ समर्थकों के साथ बीडीओ कार्यालय पंहुचे। 
 
 
पंचायत समिति संगड़ाह के अध्यक्ष मेलाराम शर्मा ने कहा कि बदले गए कर्मचारियों को लेकर न तो बीडीओ ने समिति की कोई राय ली और न ही बदले गए किसी कर्मचारी की शिकायत समिति को मिली है। उन्होंने कहा कि कल शुक्रवार को होने वाली बीडीसी की बैठक में इस बारे चर्चा होगी। उन्होने कहा की कुछ पंचायत प्रतिनिधियों ने बड़े पैमाने पर किए गए कर्मचारियों के तबादले से काम प्रभावित होने संबंधी जानकारी भी उन्हें दी है। 
 
 
इस बारे में यंगवार्ता ने जब बीडीओ संगड़ाह विनीत कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि ब्लाक के भीतर ट्रांसफर नही होती। ट्रांसफर आउट ऑफ ब्लॉक होती है । यह तो केवल एडजस्टमेंट है। उन्होंने ल कहा कि काम अथवा सिस्टम में सुधार लाने और पंचायतों की सुविधा के अलावा यात्रा भत्ता का सरकारी खर्च कम करने के लिए उक्त कर्मचारियों की पंचायतें बदली गई हैं। 
 
 
उन्होंने कहा कि हर माह जीआरएस व टीए के यात्रा भत्ते पर करीब 40 से 50 हजार रुपये खर्च हो रहे थे और कुछ पंचायत प्रधानों ने भी उनसे उक्त कर्मचारियों की पंचायतें बदलने संबंधी मांग की थी। उन्होंने कहा कि गत वर्ष 21, जुलाई 2021 को एडीसी सिरमौर द्वारा दिए गए निर्देशों के मुताबिक तत्कालीन बीडीओ द्वारा उक्त कर्मचारियों के सर्कल अथवा पंचायतें नही बदली गई थी। जिसके चलते यह कदम उठाया गया है।