सरकारी स्कूलाें में अब बच्चाें को मिड डे मील की जगह बच्चों के अकाउंट में हर महीने डाले जाएंगे पैसे 

सरकारी स्कूलाें में अब बच्चाें को मिड डे मील की जगह बच्चों के अकाउंट में हर महीने डाले जाएंगे पैसे 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  11-06-2021

सरकारी स्कूलाें में पढ़ाई करने वाले बच्चाें काे अब मिड डे मील के पैसे खाते में आएंगे। अभी तक अभिभावकाें काे कैश मिलता था, अब इस नियम काे खत्म कर दिया गया है। 

सरकारी स्कूलाें के बच्चाें काे बचत की आदत काे डालने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से खाते खाेलने काे जरूरी किया गया है। इसके अलावा घर के लिए चावल अलग से मिलेंगे।

नमक, दाल, सब्जी और तेल के पैसे बच्चों के अकाउंट में हर महीने डाले जाएंगे। जब तक स्कूल बंद है, तब तक ये व्यवस्था लागू रहेगी। स्कूल खुलने के बाद ये व्यवस्था बंद कर दी जाएगी। सरकारी स्कूलाें में सरकार की ओर से मिड डे मील व्यवस्था चलाई हुई हैं। 

इसमें स्कूल आने वाले सभी बच्चाें काे दाेपहर का भाेजन दिया जाता हैं। स्कूल में मिड डे मील कर्मी और हेल्पर तैनात किए गए हैं। इन्हें सरकार की ओर से प्रतिमाह वेतन दिया जाता है। 

जिन बच्चाें के अकाउंट नहीं खुले हैं, उन बच्चाें काे अब हर हाल में बैंक में जाकर अकाउंट खुलवाने हाेंगे। तभी उन्हें मिड डे मील के तहत मिलने वाले पैसाें काे लाभ मिलेगा।

एलीमेंटरी एजुकेशन के निदेशक शुभकरण सिंह का कहना है कि मिड डे मील का पैसा छात्राें के अकाउंट में ट्रांसफर हाेगा। इससे किसी तरह का हेरफेर नहीं हाे सकेगा। पैसे कैश के ताैर पर नहीं दिए जाएंगें। उनका कहना है कि पूरी पारदर्शिता के साथ काम किया जा रहा है।

बच्चों के अभिभावकों को रोटेशन के हिसाब से स्कूल बुलाकर उनके माध्यम से भी राशन घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। चावल का आवंटन करने के लिए राेटेशन के हिसाब से अभिभावकाें काे स्कूल बुलाया जा रहा है।

मिड-डे मील योजना के तहत पहली से आठवीं कक्षा के लिए डाइट चार्ट बना हुआ है। पहली से पांचवीं के छात्राें को 100 ग्राम चावल और छठी से आठवी तक के छात्राें को 150 ग्राम चावल प्रतिदिन मिलते हैं।

प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए ताजे फल, ड्राई फ्रूट, दलिया और खिचड़ी को डाइट चार्ट में शामिल किया है। मिड डे मिल का लाभ सब छात्राें काे मिले, जिम्मेवारी शिक्षकाें कीः सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करवाने की कवायद के बाद अब बच्चों को मिड-डे मील भी घर तक पहुंचाना भी जरूरी किया गया है।

शिक्षा विभाग के आदेश है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते स्कूल बंद है। ऐसे में अभिभावकाें और बच्चाें तक कच्चा राशन और अकाउंट में पैसे पहुंचाने की जिम्मेवारी शिक्षकाें काे साैंपा गई है। अगर किसी भी तरह की गड़बड़ी हुई ताे गाज भी गिर सकती है।