हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को महंगी पड़ी लापरवाही , कोर्ट ने ठोका 10 लाख का जुर्माना जानिए पूरा मामला

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने आयुर्वेद विभाग में फार्मासिस्ट के पद पर चयन के मामले में न्यायालय की उचित सहायता नहीं करने पर हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग पर 10 लाख का जुर्माना लगाया है

हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को महंगी पड़ी लापरवाही , कोर्ट ने ठोका 10 लाख का जुर्माना जानिए पूरा मामला
 
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  07-08-2022
 
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने आयुर्वेद विभाग में फार्मासिस्ट के पद पर चयन के मामले में न्यायालय की उचित सहायता नहीं करने पर हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग पर 10 लाख का जुर्माना लगाया है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता कुलविंदर सिंह की याचिका पर ये फैसला सुनाया है। जानकारी के मुताबिक प्रार्थी को आयोग द्वारा भूमिहीन होने का एक अंक नहीं दिया था, जिस कारण उसे कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। 
 
 
लोक सेवा आयोग का कहना था कि प्रार्थी ने भूमिहीन होने का प्रमाण पत्र समय पर पेश ही नहीं किया। आयोग का यह भी कहना था कि प्रार्थी को एक हेक्टेयर से कम भूमि बाबत सक्षम राजस्व प्राधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया था। आयोग ने अपने जवाब में तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने 23 सितंबर 2017 को अंकों के मूल्यांकन के लिए सर्टिफिकेट पेश किया और पटवारी द्वारा भूमिहीन प्रमाण पत्र जारी किया। जबकि इसे तहसीलदार द्वारा जारी किया जाना चाहिए था। 
 
 
लोक सेवा आयोग का तर्क था कि याचिकाकर्ता दिए गए समय के भीतर प्रमाण पत्र जमा करने में विफल रहा। इसलिए, वह इस बाबत एक अंक प्राप्त करने का हकदार नहीं था। जबकि याचिकाकर्ता का कहना था कि उसने इसे समय पर आयोग के कार्यालय में जमा कर दिया। अदालत ने मामले का रिकॉर्ड तलब किया और पाया कि याचिकाकर्ता ने समय पर प्रमाण पत्र जमा कर दिया था। 
 
 
कोर्ट ने आयोग को फटकार लगाते हुए कहा कि सबसे पहले आयोग ने प्रमाण पत्र प्राप्त होने से इनकार किया और जब यह साबित हो गया कि प्रमाण पत्र आयोग को प्राप्त हो गया था, तब आयोग अदालत में एक अलग दलील देने लगा कि पटवारी,तहसीलदार अंब द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि याचिकाकर्ता परिवार की भूमि एक हेक्टेयर से कम थी। कोर्ट ने कहा कि जिस तरीके से आयोग ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा है वह वास्तव में अदालत को पीड़ा देता है।