हिमाचल में भी तैयार होंगे बच्चों के खिलौने
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 29-12-2020
हिमाचल आने वाले समय में चीन के खिलौने नहीं बेचेगा। स्वयं खिलौना उद्योग का क्लस्टर स्थापित कर हिमाचल देश के अन्य राज्यों के लिए यहां से बच्चों की पसंदीदा स्वदेशी खिलौने तैयार करेगा। यानि मेड इन इंडिया और वोकल फॉर लोकल के नारे को बुलंद करते हुए प्रदेश के उद्योग विभाग ने इस दिशा में प्रयास शुरू करते हुए काम शुरू कर दिया है।
हिमाचल के खिलौनों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस और प्लास्टिक उद्योंगों के भी क्लस्टर स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे प्रदेश आत्मनिर्भर बनकर देश के अन्य राज्यों के लिए भी मॉडल बने,
इसके लिए प्रदेश सरकार ने केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय को नए प्रस्ताव कर भेजे हैं, जिन पर जल्द मुहर लगने की उम्मीद है। इन महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए बाकायदा केंद्र से फंडिंग भी होगी।
उद्योग विभाग राज्य हथकरघा व हस्तशिल्प निगम के सहयोग से दो क्लस्टर स्थापित किए जाएंगे। इनमें खिलौने बनाने का ही काम नहीं किया जाएगा, बल्कि देवभूमि की परंपराओं व रीति-रिवाजों को ध्यान में रखते हुए इन क्लस्टर्स का विकास किया जाएगा।
इसके लिए कांगड़ा स्थित भारतीय फैशन तकनीकी संस्थान की सेवाएं भी ली जाएंगी। इसके अलावा प्लास्टिक रीसाइकिलिंग यूनिट से प्लास्टिक को वैज्ञानिक ढंग से दोबारा प्रयोग में लाया जाएगा। इसके लिए भी एक बड़ा क्लस्टर उद्योग लगाया जा रहा है।
उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर का कहना है कि हिमाचल आने वाले दिनों में औद्योगिक क्षेत्र में हजारों युवाओं को रोजगार देने के साथ-साथ कच्चे माल के लिए स्वरोजगार के द्वार भी खोलेगा। औद्योगिक विकास से रोजगार के साथ स्वदेशी पर भी हिमाचल बड़ा काम करने जा रहा है।
सरकार ने केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय को नालागढ़ में करीब 100 एकड़ भूमि पर 85 करोड़ की प्रारंभिक लागत से प्लास्टिक पार्क स्थापित करने का प्रस्ताव भी भेजा है। इसमें 40 करोड़ केंद्र सरकार अनुदान के रूप में देगी।
इलेक्ट्रॉनिक सामान का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए 200 एकड़ भूमि पर इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफेक्चरिंग उद्योग लगाया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार से 140 करोड़ अनुदान मिलेगा। इसके लिए भूमि चयन भी कर लिया गया है।
265 एकड़ भूमि पर 260 करोड़ रुपए से मेडिकल डिवाइसेज पार्क की स्थापना के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। इस पार्क की स्थापना से करीब 450 करोड़ रुपए का निवेश और 5000 लोगों को रोजगार मिलेगा।
केंद्र सरकार इस पार्क की स्थापना के लिए करीब 100 करोड़ रुपए का अनुदान देगी। शेष राशि राज्य सरकार स्वयं वहन करेगी।