शाबाश : राजगढ़ के रितेश ने फिजिक्स में की पीएचडी, भौतिक विज्ञान में बने डॉक्टर
दिल में आगे बढ़ने की लग्न हो तो राहें अपने आप आसान हो जाती है । यही कहावत ग्रामीण परिवेश के रहने वाले एक होनहार युवा रितेश वर्मा पर चरितार्थ होती है जिन्होने शूलिनी विश्वविद्यालय से
राजगढ़ क्षेत्र का नाम रोशन करने वाले बने पहले युवा
यंगवार्ता न्यूज़ - राजगढ़ 25-10-2021
दिल में आगे बढ़ने की लग्न हो तो राहें अपने आप आसान हो जाती है । यही कहावत ग्रामीण परिवेश के रहने वाले एक होनहार युवा रितेश वर्मा पर चरितार्थ होती है जिन्होने शूलिनी विश्वविद्यालय से फिजिक्स में पीएचडी करके राजगढ़ तथा विशेषकर रासूमांदर क्षेत्र का नाम रोशन किया है ।
जानकारी के मुताबिक डॉ. रितेश वर्मा राजगढ़ क्षेत्र के पहले युवा है जिन्होने फिजिक्स में पीएचडी की है और अपने ज्ञान का प्रकाश यूरोप में अनुसंधान कार्य में करना चाहते हैं । जिसके लिए वह कुछ दिनों तक शूलिनी विश्वविद्यालय में ही अनुसंधान कार्य का अनुभव लेगें ।
गौर रहे कि डॉ. रितेश वर्मा मूलतः राजगढ़ ब्लॉक के रासूमांदर क्षेत्र की दूरदराज एवं अंतिम पंचायत टाली- भुज्जल के रहने वाले हैं । इनके पिता निकाराम डिग्री कॉलेज राजगढ़ में लैब सहायक के पद पर कार्यरत है जबकि माता शकंुतला वर्मा गृहिणी हैं ।
गौर रहे कि डॉ. रितेश वर्मा ने प्रारंभिक शिक्षा राजगढ़ ग्रहण की । जवाहर नवोदय विद्यालय में चयन होने पर इन्होने दसवी कक्षा नाहन से वर्ष 2010 में उतीर्ण की । तदोपंरात 12वीं कक्षा वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला राजगढ़ से तथा बीएससी नॉन मेडिकल की उपाधि डिग्री कॉलेज सोलन से उतीर्ण की ।
स्नातक डिग्री करने के उपरांत इन्होने शूलिनी विश्वविद्यालय में वर्ष 2015 एएम के लिए प्रवेश लिया और वर्ष 2021 मंे फिजिक्स में पीएचडी पूर्ण की। डॉ. रितेश वर्मा अब शूलिनी विश्वविद्यालय में रिसर्च एसोसिएट के रूप में कार्य करेगें ।
अंततः रितेश का उददेश्य यूरोप में अनुसंधान करना है जिसके लिए वह भरपूर प्रयासरत है । डॉ0 रितेश ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है जिनके आर्शिवाद से उन्होने यह मुकाम हासिल किया है । उन्होने अपने गाइड प्रो0 राजेश शर्मा और पर्यवेक्षक प्रो0 खालीद मुजसम बटटू का भी आभार व्यक्त किया है जिनके मार्गदर्शन व आर्शिवाद से फिजिक्स विषय में पीएचडी करने में सफल हुए हैं ।
इनका कहना है कि समाज के समग्र विकास के लिए वैज्ञानिक एवं भौतिक स्वभाव होना अत्यंत आवश्यक है ंतभी मानव विकास की परिकल्पना की जा सकती है।