इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला चुनाव लड़ेंगे या नही गेंद चुनाव आयोग के पाले में....
न्यूज़ एजेंसी - चंडीगढ़ 05-07-2021
जूनियर बेसिक ट्रेनिंगटीचर भर्ती घोटाले में मिली सजा पूरी कर चुके हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के चुनाव लड़ने के मामले में नया मोड़ आ गया है।
चंडीगढ़ के एक शिक्षाविद देवेन्द्र बल्हारा ने हाई कोर्ट के 5 वकीलों के के माध्यम से चुनाव आयोग के सामने हस्तक्षेप याचिका दायर की है।
हाई कोर्ट के वकीलों की टीम: प्रदीप रापडिया, हरिंद्र पाल सिंह, संजीव तक्षक, प्रवीण कुमार व संजीव गोदारा के माध्यम से दायर की गई याचिका में मीडिया में छपी ख़बरों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ओम प्रकाश चौटाला चुनाव लड़ने की ख़बरें सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी हैं।
जिनमें दावा किया गया है कि याचिका दायर करने पर चुनाव आयोग चुनाव न लड़ पाने की अवधि को कम कर सकता है या उनको चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध को पूरी तरह खत्म कर सकता है।
लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8(1) के अनुसार, रिहाई से 6 साल की अवधि तक यानी जून 2027 तक ओपी चौटाला चुनाव नहीं लड़ सकते।
याचिका में सोशल मीडिया पर अफवाहों के गर्म बाज़ार का भी हवाला देते हुए कहा गया है कि लोगों में इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के चुनाव लड़ने के मामले में लोगों में कई तरह के भ्रम फैले हुए हैं जो चुनाव आयोग की निष्पक्षता, राजनीति के अपराधीकरण और नए राजनितिक समीकरणों पर पर गंभीर सवाल उठाते हैं ।
हालांकि याचिकर्ता के वकीलों ने याचिका में कहा है कि उन्हें चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर पूर्ण विश्वास है, इसलिए वो भी मामले में चुनाव आयोग के सामने अपना पक्ष रखना चाहते हैं ।
राजनीति के अपराधीकरण का अर्थ राजनीति में आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे लोगों और अपराधियों की बढ़ती भागीदारी से है।
सामान्य अर्थों में यह शब्द आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों का राजनेता और प्रतिनिधि के रूप में चुने जाने का घोतक है। दरअसल, जनप्रतिनिधित्व कानून में प्रावधान है कि सजा पूरी करने के बाद छह वर्ष तक संबंधित व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य रहेगा।
यह प्रावधान भ्रष्टाचार निरोधक कानून, आतंकवाद निरोधक कानून और सती निरोधक कानून के तहत सजायाफ्ता व्यक्तियों पर भी लागू होता है।
राजनीति का अपराधीकरण और भारत राजनीति के अपराधीकरण का अर्थ राजनीति में आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे लोगों और अपराधियों की बढ़ती भागीदारी से है।