कांग्रेस की नाक का सवाल बनी जिला परिषद की कुर्सी , तीसरी बार लाया गया अविश्वास प्रस्ताव 

बिलासपुर में जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी वर्तमान में अहम की लड़ाई का अखाड़ा बनकर रह गई है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के तुरंत बाद बिलासपुर में जिला परिषद की सत्ता परिवर्तन के लिए भी लड़ाई शुरू हो गई थी। उपाध्यक्ष की कुर्सी में तो फेरबदल हुए, लेकिन अध्यक्ष की कुर्सी की लड़ाई तीन माह से खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। धार-टटोह वार्ड से लोगों ने प्रदेश की सबसे युवा सदस्य को चुनकर सत्ता में भेजा

कांग्रेस की नाक का सवाल बनी जिला परिषद की कुर्सी , तीसरी बार लाया गया अविश्वास प्रस्ताव 

 

यंगवार्ता न्यूज़ - बिलासपुर 06-07-2023
 
बिलासपुर में जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी वर्तमान में अहम की लड़ाई का अखाड़ा बनकर रह गई है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के तुरंत बाद बिलासपुर में जिला परिषद की सत्ता परिवर्तन के लिए भी लड़ाई शुरू हो गई थी। उपाध्यक्ष की कुर्सी में तो फेरबदल हुए, लेकिन अध्यक्ष की कुर्सी की लड़ाई तीन माह से खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। धार-टटोह वार्ड से लोगों ने प्रदेश की सबसे युवा सदस्य को चुनकर सत्ता में भेजा, ताकि वे लोगों की समस्याओं को समझे और जनहित के लिए कार्य करे।निर्दलीय जीतने के बाद मुस्कान ने अध्यक्ष पद पर तैनात होने की शर्त पर भाजपा का दामन थामा था और प्रदेश की सबसे युवा जिला परिषद अध्यक्ष बनी थीं। दो साल के कार्यकाल के बाद मार्च 15 को अन्य सदस्यों ने मुस्कान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की। इससे पहले की जिप सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पारित करते मुस्कान ने इस्तीफा दे दिया। 
 
 
वहीं फिर एक माह का समय पूरा होने से एक दिन पहले अपना इस्तीफा वापस लेकर जिला अध्यक्ष की कुर्सी पर अपना कब्जा बरकरार रखा। इसके बाद फिर से दूसरी बार सदस्यों ने जब अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की तो उन्होंने फिर से इस्तीफा दे दिया। अब लगातार दूसरी बार समय अवधि पूरी होने से पहले ही अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। कुर्सी बचाने के लिए लगातार इस्तीफे का दांव खेला जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि युवा जिला अध्यक्ष अपने हित के लिए जनता के हित को दाव पर लगा रही हैं। जहां जनता की समस्याओं के समाधान का कार्यभार इन पर है, वहीं इनकी प्राथमिकता कुर्सी की लड़ाई हो गई है। भाजपा समर्थित पूर्व उपाध्यक्ष प्रेम सिंह ठाकुर ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया था। मतदान में वह हार गए और अब बतौर जिप सदस्य सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन जिप अध्यक्ष कुर्सी को बचाने के लिए इस्तीफा-इस्तीफा खेल रही हैं। 
 
 
जहां लोगों के हितों के लिए आवाज उठनी थी वहां पर सत्ता में बने रहने का खेल हावी हो रहा है। अब एक माह का समय पूरा होने से करीब तीन दिन पहले ही मुस्कान ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है, जबकि अन्य सदस्यों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की है। देखना यह है कि वो अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगी या एक बार फिर इस्तीफे का दाव खेलेंगी। जिला परिषद अध्यक्ष बिलासपुर मुस्कान ने बताया कि मुझे जो अधिकार मिले हैं उनका उपयोग कर रही हूं। अन्य सदस्यों को अगर मुझसे कोई समस्या थी तो उन्हें आमने-सामने बैठकर मुझसे बात करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब मैं भी अपने अधिकारों का उपयोग कर रही हूं। पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह का कहना है कि पंचायती राज एक्ट में कुछ खामियां हैं, जिसका फायदा जिप अध्यक्ष की ओर से उठाया जा रहा है। विभाग इसका रिव्यू कर रहा है। जल्द इसका समाधान निकाला जाएगा। 
 
 
जिला पंचायत अधिकारी बिलासपुर अश्वनी शर्मा ने बताया कि जिला परिषद अध्यक्ष ने एक बार फिर से इस्तीफा वापस ले लिया है। घटनाक्रम पर निदेशालय में बात कर आगामी कार्रवाई की जाएगी। जिला परिषद बिलासपुर की अध्यक्ष मुस्कान के खिलाफ तीसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। जिला परिषद के 10 सदस्यों ने बुधवार को उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस पर चर्चा के लिए 12 जुलाई का दिन निर्धारित किया गया है। हालांकि माना जा रहा कि अध्यक्ष मुस्कान एक बार फिर चर्चा से पहले इस्तीफा देकर एक माह तक अपनी कुर्सी बचा सकती हैं। बुधवार को प्रस्तुत किए गए प्रस्ताव पर 14 सदस्यों में से 10 सदस्य ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें मदन धीमान, आईडी शर्मा, विमला देवी, बेली राम टैगोर, शालू रनौत, प्रोमिला बसु, राजकुमार, शैलजा शर्मा, मान सिंह और पूजा रानी शामिल हैं। गौरव शर्मा, सत्या देवी और प्रेम सिंह ठाकुर ने प्रस्ताव से दूरी बना रखी है। 
 
 
बता दें कि जिला परिषद की अध्यक्ष मुस्कान और पूर्व उपाध्यक्ष प्रेम सिंह ठाकुर के खिलाफ पहली बार मार्च में अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। चर्चा के लिए 27 मार्च को बैठक रखी गई। बैठक से एक घंटे पहले दोनों पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा एक माह तक पंचायती राज निदेशक के पास विचाराधीन रहा। इसी अवधि के दौरान दोनों पदाधिकारी नियमानुसार इस्तीफा वापस ले सकते थे। इसी नियम का फायदा उठाकर दोनों पदाधिकारियों ने समय अवधि खत्म होने से एक दिन पहले इस्तीफा वापस ले लिया। 19 मई को दोनों पदाधिकारियों के खिलाफ दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग की गई। एक जून को चर्चा का दिन निर्धारित हुआ। इसी बीच प्रस्ताव के खिलाफ अध्यक्ष मुस्कान ने प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। 31 मई को मुस्कान ने अदालत से याचिका वापस ले ली और उसी दिन इस्तीफा दे दिया, जबकि एक जून को हुई बैठक में उपाध्यक्ष प्रेम सिंह ठाकुर ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया, जिसमें उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी।