लाल चावल को देश-विदेश में पहचान दिलवाने के लिए टैग जीआई दिलाने की तैयारी
लाल चावल करड़ को देश-विदेश में पहचान दिलवाने की तैयारी हो रही हैं। सेवानिवृत वैज्ञानिक डॉ. श्रीवास्तावा ने इसे जीआई (जियोग्राफिक्ल इंडिकेशन) टैग दिलाने का प्रयास
यंगवार्ता न्यूज़ - चंबा 08-07-2023
लाल चावल करड़ को देश-विदेश में पहचान दिलवाने की तैयारी हो रही हैं। सेवानिवृत वैज्ञानिक डॉ. श्रीवास्तावा ने इसे जीआई (जियोग्राफिक्ल इंडिकेशन) टैग दिलाने का प्रयास किया है।
जिसके लिए बाकायदा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पेटेंट, डिजाइन एवं ट्रेडमार्क महानियंत्रक कार्यालय चेन्नई में आवेदन किया है। इस पर कोई भी आपत्ति नहीं लगाई गई है।
इससे लाल चावल को जीआई टैग मिलने की उम्मीद जगी हैं। भटियात विधानसभा क्षेत्र के काहरी और जंदरोग, कामला में लाल चावल और कस्तूरी बासमती की किसान खेती करते हैं।
किसी भी क्षेत्र का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है, उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है। जिसे जीआई टैग यानी जीओ ग्राफिकल इंडीकेशन कहते हैं। जिसे हिंदी में भौगोलिक संकेतक नाम से जाना जाता है।
जैविक तरीके से उगाए जाने वाले लाल चावल में आयरन, प्रोटीन, पोटैशियम, फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है। यह दिल, हड्डी, मोटापे और अस्थमा जैसी बीमारियों से बचाता है।